A Review Of Shiv chaisa
A Review Of Shiv chaisa
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शिव चालीसा - जय गिरिजा पति दीन दयाला । सदा करत सन्तन प्रतिपाला.
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा। ताके तन नहीं रहै कलेशा॥
अर्थ: हे प्रभु जब क्षीर सागर के मंथन में विष से भरा घड़ा निकला तो समस्त देवता व दैत्य भय से कांपने लगे (पौराणिक कथाओं के अनुसार सागर मंथन से निकला यह विष इतना खतरनाक था कि उसकी एक बूंद भी ब्रह्मांड के लिए विनाशकारी थी) आपने ही सब पर मेहर बरसाते हुए इस विष को अपने कंठ में धारण किया जिससे आपका नाम नीलकंठ हुआ।
अथ श्री बृहस्पतिवार व्रत कथा
कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
ॠनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥
प्रतिदिन शिव चालीसा का पाठ करने से आपके जीवन की कठनाईया दूर होती हैं ।
सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥ जो यह पाठ करे मन लाई ।
हनुमान चालीसा लिरिक्स
On Trayodashi (13th day of the darkish and vibrant fortnights) one should really invite a pandit and devotely make shiv chalisa in hindi offerings to Lord Shiva. People who fast and pray to Lord Shiva on Trayodashi are always wholesome Shiv chaisa and prosperous.
संकट में पूछत नहिं कोई ॥ स्वामी एक है आस तुम्हारी ।
पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे॥